Onam Puja Vidhi Story

थिरुवोणम (ओणम्) के 10 दिनों का महत्व – पूजा विधि – कथा | Thiruvonam (Onam) – Puja Vidhi – Story

 

5 सितम्बर 2025 , शुक्रवार

थिरुवोणम् नक्षत्रम् प्रारम्भ – 04सितम्बर 2025 _ 11:44 पी एम

थिरुवोणम् नक्षत्रम् समाप्त – 05सितम्बर 2025 _11:38 पी एम

 

ओणम दक्षिण भारत विशेषकर केरल राज्य का सबसे प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहार है। यह मुख्य रूप से मलयालम पंचांग के अनुसार चिंगम मास (श्रावण-भाद्रपद के बीच) में मनाया जाता है।

 

साथ ही तमिलनाडु, कर्नाटक व भारत के अन्य हिस्सों में रहने वाले मलयाली समाज द्वारा भी यह पर्व मनाया जाता है।

 

ओणम पर्व का महत्व
  1. राजा महाबली की स्मृति – पुराणों के अनुसार प्रह्लाद के पौत्र और बलि पुत्र राजा महाबली के शासन में केरल में सुख-समृद्धि और समानता का युग था। उनके प्रजावत्सल स्वभाव के कारण लोग आज भी उन्हें स्मरण करते हैं।
  2. भगवान विष्णु के वामन अवतार की कथा से यह पर्व जुड़ा है।
  3. यह त्योहार नवीन फसल (धान, सब्जियाँ, फल) की कटाई से भी संबंधित है, इसलिए यह एक प्रकार का फसल पर्व है।
  4. इस दिन लोग महाबली की पुनः धरती पर आगमन की मान्यता से उनके स्वागत में उत्सव मनाते हैं।
ओणम की पूजा विधि

ओणम का त्योहार दस दिनों तक चलता है, जिसमें विशेष रूप से पहला दिन (अथम) और दसवाँ दिन (थिरुवोनम) महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

  1. प्रातः स्नान कर घर को शुद्ध करें।
  2. घर के आँगन या मंदिर में भूमि पर रंगोली (पुक्कलम / पुष्पमालिका) बनाई जाती है, जिसमें ताजे फूल सजाए जाते हैं।
  3. भगवान विष्णु (विशेषकर वामन अवतार) और राजा महाबली की पूजा की जाती है।
  4. दीप प्रज्वलन कर धूप-दीप, पुष्प, चंदन व नैवेद्य अर्पित किया जाता है।
  5. परिवारजन मिलकर ओणसद्या ( विशेष भोज) बनाते हैं, जिसमें केले के पत्ते पर 9–11 से अधिक प्रकार के व्यंजन परोसे जाते हैं।
  6. इस दिन दान-पुण्य, गरीबों को भोजन, और जरूरतमंदों को वस्त्र दान करने की परंपरा भी है।
ओणम की कथा

राजा महाबली असुरों के राजा थे, परंतु वे अत्यंत न्यायप्रिय, दानी और प्रजावत्सल थे। उनके युग में सभी लोग सुखी और समृद्ध थे, लेकिन उनकी बढ़ती लोकप्रियता और शक्ति से देवता चिंतित हो गए। तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण किया और राजा बलि से दान में तीन पग भूमि माँगी।

महाबली ने वचन दिया, परंतु वामन ने विराट रूप धारण कर पृथ्वी और आकाश को दो पग में नाप लिया। तीसरे पग के लिए राजा ने अपना शीश झुका दिया। भगवान ने प्रसन्न होकर उन्हें सुतल लोक में भेजा, लेकिन उनकी भक्ति और दानशीलता को देखकर वरदान दिया कि वे वर्ष में एक बार अपनी प्रजा से मिलने धरती पर आ सकेंगे। इसी कारण ओणम पर्व राजा महाबली के स्वागत में मनाया जाता है।

ओणम केरल का सबसे बड़ा पर्व है, जो भगवान वामन और राजा महाबली की कथा तथा फसल उत्सव से जुड़ा हुआ है। इसे सामूहिकता, समानता, और आनंद का प्रतीक माना जाता है।

 

ओणम के 10 दिन (अथम से थिरुवोनम )
1) अथम (पहला दिन)
  • इस दिन से ओणम की शुरुआत होती है।
  • घर के आँगन में पुक्कलम (फूलों की रंगोली) बनाना शुरू करते हैं।
  • लोग स्नान कर मंदिरों में जाते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।
2) चिठिरा (दूसरा दिन)
  • पुक्कलम में और अधिक फूल जोड़े जाते हैं।
  • घरों की साफ-सफाई और सजावट होती है।
3)चोडी (तीसरा दिन)
  • इस दिन रिश्तेदारों और प्रियजनों को ओणम उपहार भेजने की परंपरा है।
  • घर के लिए नए वस्त्र भी खरीदे जाते हैं।
4) विशाकम (चौथा दिन)
  • इसे खरीदारी का सबसे शुभ दिन माना जाता है।
  • बाजारों में खूब भीड़ रहती है।
5)अनुजम (पाँचवा दिन)
  • इस दिन गाँव-गाँव में नौका दौड़ शुरू होती है।
  • लोग सांस्कृतिक कार्यक्रम और खेल-कूद आयोजित करते हैं।
6)थ्रिकेता (छठा दिन)
  • परिवार के लोग एक साथ मिलते हैं।
  • रिश्तेदारों और मित्रों का घर आना-जाना बढ़ जाता है।
7) मुल्लम (सातवाँ दिन)
  • इस दिन पुक्कलम बड़ा और भव्य रूप ले लेता है।
  • घर के बुजुर्ग बच्चों को आशीर्वाद देते हैं।
8) पूरदम (आठवाँ दिन)
  • इस दिन से उत्सव का रंग और गहरा हो जाता है।
  • जगह-जगह पारंपरिक नृत्य (कथकली, तिरुवातिरा) होते हैं।
9) उत्रादम (नौवाँ दिन)
  • इसे “ओणम की पूर्व संध्या” कहा जाता है।
  • इस दिन लोग महाबली राजा के स्वागत की अंतिम तैयारी करते हैं।
  • घर में विशेष पकवान बनने लगते हैं।
10)थिरुवोनम (दसवाँ दिन – मुख्य पर्व)
  • यह ओणम का सबसे महत्वपूर्ण दिन है।
  • प्रातः स्नान करके लोग नए वस्त्र पहनते हैं।
  • घर में भव्य पुक्कलम सजाया जाता है।
  • भगवान विष्णु (वामन) और राजा महाबली का पूजन होता है।
  • परिवार के सभी सदस्य मिलकर ओणसद्या का आनंद लेते हैं।
  • यह भोज केले के पत्ते पर परोसा जाता है।
  • इसमें 26 से अधिक व्यंजन तक बनाए जाते हैं (जैसे सांभर, अवियल, ओलन, इंची करी, अड, पायसम आदि)।
  • जगह-जगह नौका दौड़, पुक्कलम प्रतियोगिता, नृत्य और खेल होते हैं।

इस प्रकार ओणम दस दिनों तक चलता है और हर दिन का अपना अलग महत्व है।

यह केवल धार्मिक त्योहार ही नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का उत्सव भी है।

 

Useful Information:

 

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