Lunar Eclipse 2025

खग्रास चंद्र ग्रहण 2025 | Lunar Eclipse 2025

खग्रास चंद्र ग्रहण ( भारत, एशिया,ऑस्ट्रेलिया,अफ्रिका,यूरोप,अंटार्कटिका,पैसेफिक्, इंडियन ओशन)

संवत् २०८२ भाद्रपद शुक्ल पक्ष 7 सितम्बर 2025,रविवार को सम्पूर्ण भारत मे चंद्र ग्रहण होगा

 

भारतीय मानक् समयानुसार

विरल छाया प्रवेश_रात्रि 08:58

स्पर्श(ग्रहण प्रारंभ) _रात्रि 09:57

समिलन _ रात्रि 11:01

ग्रहण मध्य _ रात्रि 11:42

उन्मिलन _ रात्रि 12:23

मोक्ष _रात्रि 01:27

भारतीय समय अनुसार ग्रहण का सूतक समय _ दोपहर 12:57

 

ग्रहण सूतक काल _दोपहर 12:57 से रात्रि 01:27 तक

 

ग्रहण के सूतक लगने के पहले सभी स्थानो पर तुलसी की पत्तियाँ रख देवे। तथा ग्रहण के समय ग्रहो के मानसिक जाप करे। तथा ग्रहण समाप्ति के पश्चात घर व स्वयं को शुद्ध करे भगवान् की पूजन करे व गंगा जल का छिड़काव करे।

 

चंद्र ग्रहण के आध्यात्मिक व वैज्ञानिक कारण

हिंदू शास्त्र और ज्योतिष में चंद्रग्रहण को विशेष महत्व दिया गया है। यह घटना केवल खगोलशास्त्रीय दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और प्रयोगिक (व्यावहारिक) दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण है।

 

 आध्यात्मिक दृष्टिकोण
  1. राहु-केतु का प्रभाव
  • पुराणों में वर्णित है कि समुद्र मंथन के समय अमृत पान करने वाले राहु-केतु को भगवान विष्णु ने अलग कर दिया। उसी कारण वे सूर्य और चंद्र को ग्रसित करते हैं।
  • चंद्रग्रहण को राहु-केतु का छाया प्रभाव माना गया है।
  1. ऊर्जा का परिवर्तन
  • ग्रहण के समय ब्रह्मांडीय ऊर्जा असंतुलित हो जाती है।
  • चंद्रमा मन और जल तत्व का कारक है, इसलिए ग्रहण के दौरान मन अस्थिर, भावनाएँ तीव्र और साधना का प्रभाव गहरा होता है।
  1. साधना और मंत्रजप का महत्व
  • ग्रहण काल को शास्त्रों में सर्वश्रेष्ठ साधना-काल माना गया है।
  • इस समय किया गया जप, ध्यान, स्तोत्र-पाठ व संकल्प सामान्य समय की अपेक्षा सहस्रगुणा फलदायी होता है।
  1. शुद्धिकरण का समय
  • ग्रहण काल के बाद स्नान व शुद्धि करने से मन, शरीर और वातावरण की नकारात्मकता दूर होती है।

 

प्रयोगिक (वैज्ञानिक/व्यावहारिक) कारण
  1. खगोलशास्त्रीय कारण
  • जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, तब उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इसे चंद्र ग्रहण कहते हैं।
  • यह एक प्राकृतिक खगोलीय घटना है।
  1. प्रकृति पर प्रभाव
  • ग्रहण के समय ज्वार-भाटा (समुद्र की लहरें) तीव्र हो जाती हैं, क्योंकि चंद्रमा का सीधा संबंध जल तत्व से है।
  • पौधों और जीव-जंतुओं के व्यवहार में असामान्यता देखी जाती है।
  1. मानव शरीर पर प्रभाव
  • चंद्रमा का संबंध मन और जल तत्व से है, और हमारे शरीर में जल की मात्रा लगभग 70% है।
  • ग्रहण के समय कई लोगों को अशांति, बेचैनी या मानसिक उतार-चढ़ाव महसूस होता है।
  • भोजन पचने में कठिनाई होती है, इसलिए ग्रहण के समय भोजन न करने की परंपरा बनी।
  1. स्थ्य सुरक्षा
  • प्राचीनकाल में ग्रहण काल में भोजन करने से सूक्ष्म जीवाणुओं की वृद्धि की संभावना रहती थी।
  • इसी कारण शास्त्रों ने ग्रहण के दौरान भोजन-त्याग, स्नान व दान का विधान रखा।
  • चंद्र ग्रहण मे क्या करे क्या ना करे

शास्त्रों में इसे सूतिक काल के समान माना गया है। इसलिए विशेष सावधानी और नियम बताए गए हैं।

 

ग्रहण मे क्या करना चाहिए
  1. स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनना – ग्रहण लगने से पहले ही स्नान कर लें और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  1. ईश्वर का ध्यान व मंत्र जप
  • ग्रहण काल मंत्र-जप का हजार गुना फल देता है।
  • विशेषकर गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, चंद्र मंत्र (ॐ सोम सोमाय नमः) का जप उत्तम है।
  1. पाठ-पारायण – गीता, विष्णु सहस्रनाम, शिवपुराण, देवी स्तुति का पाठ करें।
  2. भक्ति में समय लगाना – ध्यान, कीर्तन और प्रार्थना करना।
  3. तुलसी पत्र या कुश – ग्रहण से पहले भोजन/पानी में तुलसी पत्ती या कुश डाल दें ताकि वह दूषित न हो।
  4. गर्भवती स्त्रियाँ – भगवान का नाम जपें, सत्संग या मंत्र-श्रवण करें।
क्या नहीं करना चाहिए
  1. भोजन-जल ग्रहण – ग्रहण काल में भोजन, जल या फल नहीं लेना चाहिए।
  2. सोना नहीं चाहिए – नींद लेना निषेध है।
  3. सिलाई-बुनाई, धारदार कार्य – कैंची, सुई, चाकू आदि का प्रयोग वर्जित है।
  4. शारीरिक संबंध वर्जित – शास्त्रों में इसका निषेध है।
  5. शुभ कार्य नहीं करना – यात्रा शुरू करना, नया काम शुरू करना, विवाह, गृहप्रवेश आदि निषिद्ध है।
  6. गर्भवती स्त्रियाँ – नुकीली वस्तु, काटना, छीलना आदि कार्य न करें। बाहर निकलना निषेध है।
ग्रहण समाप्ति के बाद

ग्रहण छूटने पर शास्त्रों में शुद्धि और पुनः पवित्रता का विधान है।

  1. पुनः स्नान – ग्रहण समाप्त होते ही स्नान करना आवश्यक है।
  • यदि संभव हो तो गंगाजल या तीर्थजल से स्नान करें।
  1. दान-पुण्य –
  • तिल, गुड़, वस्त्र, अनाज, गौ-दक्षिणा, और यथाशक्ति धन दान करें।
  • ग्रहण काल के बाद किया गया दान अत्यधिक फलदायी होता है।
  1. गृह-शुद्धि –
  • घर में गंगाजल, गोमूत्र या तुलसी-जल छिड़कें।
  • दीपक जलाकर धूप-गंध दें।
  1. मंदिर/ईश्वर दर्शन – आरती, पूजा और स्तोत्र पाठ करें।
  2. भोजन नया बनाना – ग्रहण से पहले रखा हुआ भोजन छोड़कर ताज़ा भोजन ही ग्रहण करें।
  3. ग्रहण स्नान के बाद दान व जप फल – कहा गया है कि ग्रहण पश्चात स्नान व दान से करोड़ों यज्ञ का फल मिलता है।
शास्त्र प्रमाण
  • मनुस्मृति (4/37): ग्रहण काल में जप-तप का पुण्य अनंतगुणा बढ़ जाता है।
  • गरुड़ पुराण: ग्रहण को सूतक समान मानकर स्नान, दान और शुद्धि का विधान।
  • स्कंद पुराण: ग्रहण के समय उपवास, जप और ग्रहण बाद स्नान-दान को श्रेष्ठ बताया गया है।

 

Useful Information:

 

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1 thought on “खग्रास चंद्र ग्रहण 2025 | Lunar Eclipse 2025”

  1. जितेंद्र कुमार तिवारी

    ग्रहण की जानकारी अत्यधिक उपयोगी है।

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