नाग पंचमी पर नव नाग स्तोत्र पाठ का महत्व
नाग पंचमी हिन्दू धर्म का एक पावन पर्व है, जो श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन सर्प देवताओं की पूजा कर उनसे भय से मुक्ति, रक्षा, और सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।
इस अवसर पर “नव नाग स्तोत्र“ का पाठ करना अत्यंत फलदायक माना गया है। यह स्तोत्र नव प्रमुख नागों — अनंत, वासुकी, तक्षक, कर्कोटक, शंख, पद्म, महापद्म, कुलिक, और अश्वतर — को समर्पित है। इन नागों को ब्रह्मांडीय संतुलन, भूमिगत ऊर्जा, और धर्म रक्षा से जोड़ा गया है।
नव नाग स्तोत्र पाठ का महत्व:
सर्प दोष से मुक्ति: नव नाग स्तोत्र का पाठ कालसर्प दोष, सर्पदोष या पूर्व जन्म के पापों से मुक्ति दिलाता है।
परिवार में शांति और सुरक्षा: नाग देवता की कृपा से घर में नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और भय से रक्षा होती है।
संतान सुख की प्राप्ति: जिन लोगों को संतान प्राप्ति में बाधा हो, उन्हें नाग पंचमी के दिन नव नाग स्तोत्र का पाठ विशेष लाभ देता है।
स्वास्थ्य रक्षा: सर्प दोष जनित रोग, मानसिक अशांति और भय को दूर करने में यह स्तोत्र सहायक होता है।
पितृ दोष निवारण: नव नागों की पूजा पितृ दोष से भी मुक्ति दिलाती है।
विशेष बात:
नव नाग स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से नाग पंचमी के दिन करने से अति पुण्यफल प्राप्त होता है और नाग देवताओं की कृपा जीवन में स्थायी रूप से बनी रहती है।
निष्कर्ष:
नाग पंचमी पर श्रद्धापूर्वक नव नाग स्तोत्र का पाठ कर सच्चे मन से प्रार्थना करने पर सर्प भय, दोष और अनिष्ट शक्तियों से रक्षा प्राप्त होती है। यह एक अत्यंत शुभ और शक्ति-संपन्न अनुष्ठान है।