Ganapati Atharvashirsha Every Wednesday

भगवान् गणेशोत्सव प्रारम्भ (विनायक चतुर्थी व्रत) | Ganesh Utsav 2025

 

27 अगस्त 2025, बुधवार

भगवान् गणेश स्थापना मुहूर्त – 11:05 ए एम से 01:40 पी एम

चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – 26अगस्त 2025 _ 01:54 पी एम
चतुर्थी तिथि समाप्त – 27अगस्त 2025 _03:44 पी एम

भाद्रपद, शुक्ल ४

 

पार्थिव श्री गणेश  का विशेष महत्व

हिंदू धर्म में भगवान गणेश को “विघ्नहर्ता” और “सिद्धिदाता” कहा जाता है। पार्थिव गणेश (मिट्टी से बने गणपति) की पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे शास्त्रों में सबसे शुभ और फलदायी माना गया है।

 

  1. सर्वश्रेष्ठ पूजन – स्कंद पुराण और गणेश पुराण में कहा गया है कि पार्थिव (मिट्टी के) गणेश की पूजा हजारों वर्षों की तपस्या के समान फल देती है।
  2. विघ्नों का नाश – जीवन में आ रहे संकट, बाधा, शत्रु दोष और अशुभ ग्रहों के प्रभाव को दूर करने के लिए पार्थिव गणेश की स्थापना और पूजा श्रेष्ठ है।
  3. कर्म और पाप से मुक्ति – मिट्टी से बने गणेश जी नश्वरता का प्रतीक हैं। उनकी पूजा से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं।
  4. मनोकामना पूर्ति – जो भक्त सच्चे मन से पार्थिव गणेश की पूजा कर उन्हें विसर्जित करता है, उसकी सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।
  5. आसान और पवित्र साधना – मिट्टी शुद्ध और सात्त्विक मानी जाती है, इसलिए पार्थिव गणेश की स्थापना हर कोई आसानी से कर सकता है।
विशेष परंपरा:
  • पार्थिव गणेश की मूर्ति को पूजा के बाद विसर्जित करना आवश्यक है।
  • विसर्जन का अर्थ है — सृष्टि के चक्र में वापसी, अहंकार का त्याग और भगवान में लय।
  • इस कारण इन्हें लंबे समय तक नहीं रखा जाता।

इसलिए पार्थिव गणेश की स्थापना कर पूजा करने से भक्त को सुख-समृद्धि, बुद्धि, ज्ञान, ऐश्वर्य और विघ्न-नाश का वरदान प्राप्त होता है।

 

पार्थिव गणेशजी की स्थापना व  पूजन विधि
  1. प्रारम्भिक तैयारी
  • प्रातः स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजन स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
  • पाटे/चौकी पर पीला /लाल वस्त्र बिछाएँ।
  • आसन पर पूर्वमुख बैठें।
  1. संकल्प करें
  • जलपात्र हाथ में लेकर संकल्प मंत्र बोलें –

“मम सकल-सौभाग्य-आयुरारोग्य-संपन्नता-शत्रुविनाश-कल्याणार्थं पार्थिव-गणपति-स्थापनं पूजनं च करिष्ये।”

 

  1. पार्थिव गणेश स्थापना
  • शुद्ध मिट्टी से गणेशजी की मूर्ति बनाएँ।
  • पाटे पर मूर्ति स्थापित करें।
  • आवाहन मंत्र:

“ॐ गं गणपतये नमः, आवाहयामि स्थापयामि।”

 

  1. कलश स्थापना
  • पीले / लाल वस्त्र पर अक्षत बिछाएँ।
  • जल से भरा ताम्र/पीतल/चांदी कलश स्थापित करें
  • उसमें गंगाजल, सुपारी, मुद्रा, पुष्प, दूर्वा, गुड़ अक्षत कुमकुम अर्पित करे।
  • आम/अशोक पान के पाँच पत्तो सजाये और श्री फल रखें। श्री फल व कलश पर स्वस्तिक बनाये। कलश की पूजन करें।
  • मंत्र:

“ॐ कलशाय नमः। अस्मिन् कलशे गंगादि सर्वतीर्थानि वासन्तु।”

 

  1. दीपक स्थापना
  • कलश के दाहिने ओर शुद्ध घी का दीपक रखें। दीपक की पूजन करें।
  • मंत्र:

“शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपदा।

शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते॥”

 

  1. श्री गणेश पूजन

(पंचोपचार/षोडशोपचार अनुसार)

  1. आसन – “ॐ गं गणपतये नमः, आसनं समर्पयामि।”
  2. पाद्य – जल अर्पण।
  3. अर्घ्य – जल व पुष्प।
  4. आचमन – शुद्ध जल।
  5. स्नान – जल/अभिषेक।
  6. वस्त्र – पीला वस्त्र (या अक्षत)।
  7. यज्ञोपवीत – सूत/धागा।
  8. गंध – चंदन।
  9. पुष्प – लाल फूल, दूर्वा।
  10. धूप – धूप दिखाएँ।
  11. दीप – दीप दिखाएँ।
  12. नैवेद्य – मोदक, लड्डू।
  13. ताम्बूल – पान, सुपारी।
  14. दक्षिणा – श्रद्धानुसार।

 

  1. स्तोत्र व जप
  • गणपति अथर्वशीर्ष या कम से कम 11 बार –

“ॐ गं गणपतये नमः”।

 

“वक्रतुंड महाकाय” श्लोक का पाठ।

 

Useful Information:

 

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