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आज शुरू किए गए सभी कार्य पुष्टि दायक, सर्वार्थ सिद्ध होते हैं... All the work started today proves to be positive, fruitful...

पुष्य नक्षत्र का महत्व - हम सभी को यह तो पता है, कि पुष्य नक्षत्र बहुत शुभ नक्षत्र होता है, किंतु इसके पीछे का महत्व क्या है,यह नक्षत्र इतना शुभ क्यों होता है| तो आइए हम जानते हैं, कि पुष्य नक्षत्र का का क्या महत्व है-

पुष्य नक्षत्र को तिष्य और अमरेज्य नामों से भी पुकारा जाता है। अमरेज्य का शाब्दिक अर्थ होता है- देवताओं के द्वारा पूजा जाने वाला  पुष्य का शाब्दिक अर्थ होता है-  ऊर्जा या शक्ति प्रदान करने वाला तिष्य का शाब्दिक अर्थ होता है-  शुभ होना अर्थात पुष्य के समानार्थी शब्दों का अर्थ भी सौभाग्य,समृद्धि और सुख संपन्नता देने वाला होता है।

पाणिनि संहिता में कहा गया है -  पुष्य सिद्धौ नक्षत्रै सिध्यंति अस्मिन सर्वाणि कार्याणि सिद्धयः।

पुष्यन्ति अस्मिन सर्वाणि कार्याणि इति पुष्य।
अर्थात -
पुष्य नक्षत्र में शुरू किए गए सभी कार्य पुष्टि दायक,सर्वार्थ सिद्ध होते हैं। निश्चय ही फलीभूत होते हैं।  ज्योतिष के अनुसार -गाय के थान को पुष्य नक्षत्र का प्रतीक चिह्न माना जाता है । इसीलिए ऋग्वेद में पुष्य नक्षत्र को मंगल कर्ता,बुद्धि कर्ता और सुख-समृद्धि देने वाला नक्षत्र कहा गया है । 27 नक्षत्रों में पुष्य  आठवां नक्षत्र है, इस नक्षत्र के उदय होने पर ज्योतिष शुभ कार्य करने की सलाह देते हैं। इसीलिए पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों में सबसे अच्छा माना जाता है। तथा पुष्य को नक्षत्रों का राजा भी कहते हैं।  पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि, व अधिष्ठाता बृहस्पति देव है ।अतः शनि के प्रभाव से इस नक्षत्र का स्वभाव स्थाई या लंबे समय तक होता है । और बृहस्पति देव के प्रभाव से पद, प्रतिष्ठा, सफलता, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है । इसीलिए पुष्य नक्षत्र में शुभ और महत्वपूर्ण कार्य करने के लिए सलाह दी जाती है। जिससे स्थायित्व व सफलता एक साथ मिलती रहे ।

गुरु पुष्य नक्षत्र समय - 


28 अक्टूबर 2021 गुरुवार को गुरु पुष्य नक्षत्र का योग सुबह 9:41 प्रारम्भ होकर  दूसरे दिन 29 अक्टूबर शुक्रवार की सुबह 11:38 तक रहेगा।

अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11: 51 से 12:26 
विजयी मुहूर्त- दोपहर 1:34:2 19 गोधूलि मुहूर्त -5:09 -5: 33 
निशिता मुहूर्त -प्रातः 11:16 से दूसरे दिन दोपहर 12:07 तक रहेगा।


इस दिन क्या करें- शिल्प कला ,चित्रकला की पढ़ाई आरंभ करना, मंदिर निर्माण प्रारंभ करना, घर निर्माण प्रारंभ करना उपनयन संस्कार के बाद बाद विद्या अभ्यास करना ,दुकान खोलना, नया व्यापार आरंभ करना, निवेश करना आदि।

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