
आज गुरुपूर्णिमा के साथ चंद्र ग्रहण, क्या इसका हमारे जीवन में प्रभाव पड़ेगा? महत्व, पूजा विधि की सम्पूर्ण जानकारी यहां लीजिए...Importance of Guru Purnima 2020
आज गुरुपूर्णिमा के साथ चंद्र ग्रहण, क्या इसका हमारे जीवन में प्रभाव पड़ेगा? महत्व, पूजा विधि की सम्पूर्ण जानकारी यहां लीजिए...
आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 5 जुलाई 2020 रविवार को मनाई जाएगी। हालांकि इस साल गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण भी है। गुरु पूर्णिमा का पर्व हिंदू में विशेष महत्व रखता है। हमारे सनातन धर्म में गुरु को सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त है। गुरुओं को भगवान से भी ऊपर का स्थान प्राप्त है। गुरु की महिमा का बखान करते हुए संत कबीर दास ने यह कहा है…
" हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर !
अर्थात अगर भगवान रूठ जाते हैं तो गुरु की शरण हमारी रक्षा कर सकती है। किंतु यदि गुरु ही रूठ जाए तो हमें कहीं भी शरण मिलना संभव नहीं है ।
क्योंकि गुरु ही एक मात्र हैं, जो मानव को अज्ञानता से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है। हमारे भारत में सदियों से गुरु को पूजनीय, वंदनीय माना है। इसीलिए भगवान श्रीराम ने गुरु वशिष्ठ, श्री कृष्ण ने गुरु सांदीपनि से शिक्षा ग्रहण की। तथा गुरु सेवा गुरु भक्ति, गुरु आज्ञा ,गुरु ज्ञान का पालन कर गुरु को भगवान से भी श्रेष्ठ बताया। गुरु पूर्णिमा के दिन आदि गुरु ,महाभारत के रचियता और चार वेदों के व्याख्याता महर्षि कृष्ण द्वैपायन व्यास अर्थात महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। महर्षि वेदव्यास संस्कृत के महान विद्वान थे। उन्होंने महाभारत जैसे महाकाव्य लिखे हैं।
गुरु पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त
गुरु पूर्णिमा की तिथि 5 जुलाई 2020
गुरु पूर्णिमा 4 जुलाई 2020 को सुबह 11:33 से प्रारम्भ
गुरु पूर्णिमा तिथि समाप्त 5 जुलाई, 2020 को सुबह 10:13 तक।
गुरु पूर्णिमा का महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जिस तरह व्यक्ति इच्छा प्राप्ति के लिए ईश्वर की भक्ति करता है, उसी प्रकार व्यक्ति को जीवन में सफल होने के लिए गुरु की सेवा और भक्ति करनी चाहिए। वैसे तो व्यक्ति को रोज गुरु सेवा व भक्ति करना चाहिए, विशेषकर गुरु पूर्णिमा के दिन विद्या अर्जन करने वालों को इस दिन अपने गुरु की सेवा भक्ति कर जीवन में सफल होने का आशीर्वाद अवश्य लेना चाहिए। इस वर्ष गुरु पूर्णिमा पर धनु राशि का चंद्रमा, पूर्वाषाढ़ा, नक्षत्र और शुभ योग बन रहा है जिससे यह दिन बहुत शुभ व पूर्ण फलदायी हो रहा है। इस दिन गुरुओं की पूजा करने का विशेष महत्व है। गुरु के बिना किसी भी व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती।
इसीलिए कहा गया है…
<गुरुवक्त्रे स्थिता विद्या, गुरुभक्तया च लभ्यते।
त्रैलोक्य स्फुटवक्तारो देवर्षि पित्रमानवा:
अर्थात विद्या गुरुदेव के मुख में रहती है और वह गुरु देव की भक्ति से ही प्राप्त होती है। यह बात तीनों लोकों में देव ऋषि, पितृ और मानवो द्वारा स्पष्ट रूप से कही गई है।
पूजा विधि
गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरु की चरण वंदना करें। अगर गुरु समीप ना हो तो चरण पादुका की विधि विधान से पूजन करें। कुमकुम, अक्षत पुष्प आदि से चरण वंदना करें।
इस दिन सत्यनारायण व्रत कथा करना शुभ फलदाई होता है। प्रसाद व दक्षिणा अवश्य रखें तथा गुरु वंदना करें।
"गुरु सेवा गया प्रोक्ता देह स्यादक्षयो वट: तत्पदं विष्णुपादम स्यात तत्रदतमनसत्तम
अर्थात गुरुदेव की सेवा ही तीर्थराज गया है,गुरुदेव का शरीर अक्षय वट व्रत है, गुरुदेव के चरण भगवान विष्णु के श्री चरण हैं। वहां लगाया हुआ मन तदाकार हो जाता है।
गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण
चंद्र ग्रहण 5 जुलाई को सुबह 8:38 से प्रारंभ होकर 11:21 लगने जा रहा है। यह ग्रहण करीब 3 घंटे का होगा। यह चंद्रग्रहण इसलिए भी खास है क्योंकि यह गुरु पूर्णिमा के दिन लगने जा रहा है। जिस समय यह ग्रहण लगेगा उस समय भारत में सूर्य उदय हो चुका होगा और सूर्य की रोशनी में भारत में यह ग्रहण नहीं देखा जा सकेगा। यह एक उपछाया चंद्रग्रहण होगा जिससे मांदय ग्रहण भी कहा जाता है। इस ग्रहण की खास बात यह है कि इसमें ना तो सूतक लगेगा, ना ही शुभ कार्य वर्जित होंगे। अतः गुरु पूर्णिमा का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा सकता है।