No icon

आज का व्रत करने से भोलेनाथ प्रसन्न होंगे - Bholenath Vrat - Guru Pradosh 2020

गुरु प्रदोष (Guru Pradosh)
हिंदू पंचांग के अनुसार 6 फरवरी को प्रदोष व्रत मनाया जा रहा है। इस बार प्रदोष व्रत गुरुवार को पड़ रहा है ,जिसकी वजह से इसे गुरु प्रदोष के नाम से जाना जाता है।  मान्यताओं के अनुसार एकादशी की तरह हर मास में दो प्रदोष व्रत भी आते हैं ।और यह व्रत हर मास के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि में पड़ता है। जिस तरह एकादशी में भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। उसी प्रकार प्रदोष व्रत में भगवान शिव की आराधना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से भोलेनाथ की कृपा प्राप्त होती है। इसके साथ इस दिन व्रत कथा भी पढ़ने व सुनने का महत्व है। 
 
व्रत कथा (Guru Pradosh Vrat Katha)
एक बार इंद्र और वृत्रासुर  की सेना में घनघोर युद्ध हुआ। देवताओं ने देव सेना को पराजित कर नष्ट भ्रष्ट कर डाला यह देखकर वृत्रासुर अत्यंत क्रोधित हो स्वयं युद्ध करने के लिए तैयार हुआ, आसुरी माया से उसने विकराल रूप धारण कर लिया। सभी देवता भयभीत हो गुरुदेव बृहस्पति की शरण में पहुंचे बृहस्पति महाराज बोले पहले में तुम्हें वृत्रासुर का वास्तविक परिचय दे दू, वृत्रासुर बड़ा तपस्वी और कर्म निष्ट है। उसने गंधमादन पर्वत पर घोर तपस्या कर शिवजी को प्रसन्न किया पूर्व समय में वह चित्ररथ नाम का राजा था। एक बार वह अपने विमान से कैलाश पर्वत चला गया। वहां शिवजी के वाम अंग में माता पार्वती को विराजमान देख वह उपहास पूर्वक बोला,हे प्रभु मोह माया में फंसे होने के कारण हम स्त्रियों के वशीभूत रहते हैं। किंतु देवलोक में ऐसा दृष्टिगोचर नहीं हुआ कि स्त्री आलिंगन बद्ध हो सभा में बैठे हो।यह वचन सुनकर भोलेनाथ बोले हे राजन् मेरा व्यवहारिक दृष्टिकोण पृथक है। मैंने मृत्युदाता कालकूट विष का पान किया है। फिर भी तुम साधारण जन की भांति मेरा उपहास उड़ाते हो।मां पार्वती क्रोधित हो बोली तूने सर्वव्यापी महेश्वर के साथ ही मेरा भी उपहास उड़ाया है। तुझे ऐसी शिक्षा दूंगी फिर तू ऐसे संतो के उपहास का दुस्साहस नहीं करेगा। अब तू दैत्य स्वरूप धारण कर विमान से नीचे गिर, मैं तुझे श्राप देती हूं। जगदंबा के श्राप से चित्ररथ राक्षस योनि को प्राप्त हो गया, और त्वष्टा नामक ऋषि के श्रेष्ठ तप से उत्पन हो वत्रासुर बना। गुरुदेव बृहस्पति बोले-हे इन्द्र तुम गुरु प्रदोष व्रत कर शंकर भगवान को प्रसन्न करो देवराज ने गुरुदेव की आज्ञा का पालन कर बृहस्पति प्रदोष व्रत किया गुरु प्रदोष व्रत के प्रताप से इंद्र ने शीघ्र ही वृत्रासुर पर विजय प्राप्त कर ली और देव लोक में शांति छा गई। जय श्री महाकाल।

Comment As:

Comment (0)