
बुध प्रदोष व्रत कथा एवं विधि - Budh Pradosh Vrat Katha Evam Vidhi
बुध प्रदोष व्रत कथा
प्रदोष व्रत हर महीने में दो बार आता हैं। एक शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष । इस व्रत में भगवान शिव की पूजन का विधान हैं।
बुध प्रदोष व्रत का महत्व।
प्रदोष व्रत करने वाला मनुष्य सदा सुखी रहता हैं, प्रदोष व्रत करने पर भगवान शिव की कृपा से उसके जीवन के सभी कष्टों, बाधाओ और संकटो का निवारण हो जाता है।।
पूजन सामग्री
शुद्ध घी,दूध,दही,शहद,फल,फूल,मिठाई,सफेद वस्त्र,जल से भरा कलश,कपूर, बेलपत्र।।
प्रदोष व्रत विधि।
प्रदोष व्रत की पूजा शाम 4:30 बजे से शाम 7 बजे के बीच होती हैं व्रत करने वाले को संध्या को पुनः स्नान कर स्वछ श्वेत वस्त्र धारण करना चाहिए। भगवान शिव का पंचामृत से स्नान कराये फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं, अबीर,गुलाल,फूल,बेलपत्र,इत्र अर्पित करे मिठाई का भोग लगाएं प्रदोष व्रत कथा सुने व शिव जी की आरती करें।।
बुध प्रदोष व्रत कथा
प्राचीन काल की कथा हैं, एक पुरुष का नया -नया विवाह हुआ था। वह गौने के लिए अपनी ससुराल पहुचा और उसने सास से कहा कि बुधवार के ही दिन पत्नी को लेकर अपने नगर जाएगा। उस पुरुष के सास ससुर,साले सालियों ने उसकी समझाया कि बुधवार को पत्नी को ले जाना शुभ नही है।लेकिन वह पुरुष नही माना। विवश होकर सास-ससुर को अपने जमाता और पुत्रि को भारी मन से विदा करना पड़ा।पति -पत्नी बैलगाड़ी से चले जा रहे थे। एक नगर से बाहर निकलते ही पत्नी को प्यास लगी। पति लोटा लेकर पत्नी के लिए पानी लेने गया। जब वह पानी लेकर लौटा तो उसने देखा कि उसकी पत्नी किसी पराये पुरुष से हँस-हँसकर बात कर रही हैं।वह पराया पुरुष बिल्कुल इसी पुरुष के शक्ल-सूरत जैसा था। यह देखकर वह पुरुष दूसरे अन्य पुरुष से क्रोधवश लड़ाई करने लगा। धीरे-धीरे वहां भीड़ इकठ्ठा हो गयी । इतने में एक सिपाही भी आ गया।सिपाही ने स्त्री से पूछा कि इनमें से तेरा पति को से है।वह स्त्री कुछ बोल ही नही पायी क्योंकि दोनों की शक्ल एक जैसी थी। बीच राह में पत्नी को इस तरह लूटा हुआ देखकर वह पुरुष मन ही मन शंकर भगवान की प्रार्थना करने लगा कि हे भगवान मुझे और मेरी पत्नी को इस मुसीबत से उबारो।मैंने बुधवार के दिन अपनी पत्नी को बिदा कराकर जो अपराध किया है।उसके लिए मुझे क्षमा कीजिये। भगवान उस पुरुष की प्रार्थना से द्रवित हो गए। और उसी पल वह अन्य पुरुष कहि अन्तर्ध्यान हो गया। वह पुरुष अपनी पत्नी के साथ सकुशल अपने नगर को पहुँच गया।इसके बाद से दोनों पति-पत्नी नियम पूर्वक प्रदोष व्रत करने लगे। हर हर महादेव