फुलरिया दूज
फुलरिया दूज को एक शुभ और सर्वोच्च त्योहार माना जाता है, जिसे उत्तर भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार भगवान कृष्ण को समर्पित है शाब्दिक अर्थ में फुलेरा का अर्थ है "फूल" ऐसी मान्यता है ,कि भगवान श्री कृष्ण फूलों के साथ खेलते हैं ।और फुलेरा दूज की शुभ संध्या पर होली के त्यौहार में भाग लेते हैं। वृंदावन और मथुरा के मंदिरों में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
कब है फुलेरा दूज?
हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष के दौरान दूसरे दिन पर फुलेरा दूज पर्व मनाया जाता है। अतः 25 फरवरी 2020 मंगलवार को यह पर्व मनाया जाएगा।
इस दिन क्या करें?
इस दिन भक्त भगवान राधा कृष्ण की पूजा आराधना करते हैं। भगवान राधा कृष्ण के साथ फूलों की होली खेलते हैं। रंगीन कपड़े का एक छोटा टुकड़ा भगवान कृष्ण की मूर्ति की कमर पर लगाया जाता है। जिस का प्रतीक है कि वह होली खेलने को तैयार हैं महिलाओं को इस दिन सोलह श्रृंगार करना चाहिए। श्री राधा कृष्ण को पीले व सुगंधित फूलों से सजाना चाहिए। माखन मिश्री का भोग लगाना चाहिए। गोपी गीत मधुराष्टकं ,राधा कृपा कटाक्ष का पाठ करें? इसकी पूजा शाम को करनी चाहिए। शादीशुदा ,जोड़े से राधा कृष्ण की पूजा करें ।
फुलेरा दूज का महत्व
मान्यताओं के अनुसार इस त्यौहार को सबसे महत्वपूर्ण और शुभ दिनों में से एक माना जाता है। यह दिन राधा कृष्ण को समर्पित है। मान्यता अनुसार फुलेरा दूज दोष मुक्त दिन है इस रोज पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं होती है। इसका हर क्षण शुभता लेकर आता है। कोई भी नया कार्य शुरू करने के लिए यह दिन अति उत्तम है।
अगर आपका परिवार प्रेम विवाह के लिए नहीं मान रहा हो तो फुलेरा दूज के दिन यह काम अवश्य करें।
आज के दिन राधा कृष्ण मंदिर में पीले वस्त्र पहन कर जाएं वह उन्हें पीले फूल की माला चढ़ाएं व अबीर गुलाल चढ़ाएं तथा शेष अबीर गुलाल घर ले आए तथा रोज वही अबीर गुलाल अपने मस्तक पर लगाएं आपको अपना लाइफ पार्टनर जल्दी मिल जाएगा जिस पलंग पर आप सोते हो उस पर गुलाबी धागा बांधे तथा सफेद भोग लगाये।