बसंत पंचमी का महत्व -Importance of Basant Panchami
बसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के शुक्ल पक्ष के पांचवे दिन बसंत पंचमी मनाई जाती है, इस दिन माँ सरस्वती की आराधना की जाती है। बसंत पंचमी को श्री पंचमी व सरस्वती पंचमी के नाम से जाना जाता है, बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं, माँ सरस्वती की उपासना कैसे करें इस दिन पीले बसंती या सफेद वस्त्र धारण करें पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजन करें। माँ सरस्वती को पंचामृत व शुद्ध जल से स्नान कराकर पीले वस्त्र के ऊपर स्थापित करें, केसर का तिलक करें, मीठे चावल का भोग लगाएं, सफेद या पीले पुष्प अर्पित करें, माँ सरस्वती के मूल मंत्र ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः का जाप हल्दी की माला से करें। जिन बच्चों को सुनने या बोलने की समस्या है, वह लोग सोने या पीतल के चौकोर टुकड़े पर माँ सरस्वती के बीज मंत्र “ऐं” को लिखकर धारण करें, जिन बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता है। उन बच्चों को आज के दिन पीले वस्त्र धारण करना चाहिए, माँ सरस्वती का पूजन करना चाहिए पीले सफेद वस्त्र धारण कर माँ सरस्वती के बीज मंत्र व माँ सरस्वती वंदना करना चाहिए, जो बच्चे छोटे हैं विद्या आरंभ करने जा रहे हैं, उन बच्चों के जीभ में शहद से ओम लिखना चाहिए। बसंत पंचमी मुहूर्त 30 जनवरी 2020 गुरुवार को बसंत पंचमी मनाना श्रेष्ठ और शास्त्र सम्मत होगा इस दिन को वरदान विद्यारंभ यज्ञोपवित आदि संस्कारों और अन्य शुभ कार्यो के लिए श्रेष्ठ माना जाता है, कुछ जगहों पर यह पर्व 29 और 30 जनवरी में भेद है किंतु उदय तिथि ही पूर्णकालिक तिथि मानी जाती है, अर्थात 30 जनवरी ही श्रेष्ठ तिथि है पंचमी तिथि बुधवार 10:46 से शुरू होकर जो गुरुवार दोपहर 1:20 तक रहेगी।
बसंत पंचमी की कथा - Story of Basant Panchami
सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा जी ने मनुष्य योनि की रचना की परंतु वह अपनी सर्जना से संतुष्ट नहीं थे, तब उन्होंने विष्णु जी से आज्ञा लेकर अपने कमंडल से जल को पृथ्वी पर छिड़क दिया जिससे पृथ्वी पर कंपन होने लगा और एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी सुंदर स्त्री प्रकट हुई, जिनके एक हाथ में वीणा एवं दूसरे हाथ वर मुद्रा में थे वहीं अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। जब इस देवी ने वीणा का मधुर नाद किया तो संसार के समस्त जीव-जंतुओं को वाणी प्राप्त हुई तब ब्रह्माजी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहां।
देवी सरस्वती को बागेश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादिनी और बाघ देवी अनेक नामों से पूजा जाता है।
सरस्वती वंदना मंत्र - Sarswati Vandana Mantra
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥
शुक्लाम् ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥
हस्ते स्फटिकमालिकाम् विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे ताम् परमेश्वरीम् भगवतीम् बुद्धिप्रदाम् शारदाम्॥2॥