हरसिंगार एक दिव्य वृक्ष माना गया हैं, हरसिंगार को पारिजात भी कहते हैं। समुद्र मंथन में 14 रत्नों की प्राप्ति हुई थी, तथा 11 वा रत्न पारिजात का वृक्ष था।इस वृक्ष को देवराज इंद्र स्वर्गलोक ले गए थे। इसे छूने का अधिकार मात्र उर्वशी नामक अप्सरा को था। हरिवंशपुराण में पारिजात वृक्ष का उल्लेख मिलता हैं,जिसके अनुसार अप्सरा उर्वशी इस वृक्ष को छूकर अपनी थकान मिटाती थी। हरवंश पुराण में इस वृक्ष को कल्प वृक्ष, इच्छापूरक वृक्ष, दिव्य वृक्ष कहा गया हैं। भगवान श्री कृष्ण इस दिव्य वृक्ष को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाये थे। धन की देवी लक्ष्मी जी,शिवजी, श्री कृष्ण को पारिजात पुष्प अतिप्रिय हैं। पारिजात पुष्प को तोड़ना वर्जित हैं, केवल वही पुष्प पूजन में उपयोग कर सकते हैं जो स्वयं टूटकर गिरे हो। इस वृक्ष को घर के बगीचे में लगाने से दरिद्रता नष्ट होती हैं। तथा वृक्ष को छूने मात्र से थकान मिट जाती हैं। इस वृक्ष को बगीचे के दक्षिण या पश्चिम में लगाना श्रेयस्कर होता हैं।