वास्तु शास्त्र क्या है?
वास्तु शास्त्र एक ऐसा प्राचीन भारतीय विज्ञान है जिसमें किसी घर में रहने वाले व्यक्तियों की सुख-समृद्धि और बेहतर स्वास्थ्य के लिए अनेक नियम बताए गए हैं। कई नियम दिखने-सुनने में बहुत छोटे-छोटे हैं लेकिन उनका बड़ा प्रभाव होता है। इन साधारण से दिखने वाले नियमों का पालन करने से न केवल व्यक्ति की सफलता सुनिश्चित हो जाती है, बल्कि उसके प्रत्येक कार्य में आ रही रूकावटें भी दूर हो जाती हैं।
वास्तु नियमों के अनुसार इस सृष्टि की रचना पंचतत्वों से मिलकर हुई है-आकाश, पृथ्वी, जल, वायु और अग्नि। वास्तु कला के समस्त सिद्धांत सभी प्रकार की धार्मिक एवं भौगोलिक स्थितियों को ध्यान में रखकर बनाए गए है | वास्तुशास्त्र के नियम अत्यंत सूक्ष्म अध्यन और विश्लेषण पर आधारित है | इन सिद्धांतों को पर्यावरण और प्रकृति पार्क बनाने के लिए सूर्य ऊर्जा, वायु ऊर्जा, चन्द्रमा एवं अन्य ग्रहों से संबधित किया गया है | हमारे प्राचीन वास्तु आचार्यों ने जो मंत्रष्ता और तत्वज्ञानी भी थे, आधुनिक भौतिक शास्त्रीय यंत्रों के बिना "सूर्य रश्मि' सिद्धांतों के ठोस विवरण प्रस्तुत किये थे।
What is Vastu Shastra?
Vastu Shastra is an ancient Indian science in which many rules have been laid down for the happiness, prosperity and better health of the people living in a house. Many rules are very small in appearance but they have a big impact. By following these simple-looking rules, not only the success of the person is ensured, but also the obstacles that come in each of his tasks are removed.
According to Vastu rules, this universe is composed of five elements - sky, earth, water, air and fire. All the principles of Vastu art have been formulated keeping in mind all types of religious and geographical conditions. The rules of Vastushastra are based on very subtle study and analysis. These principles have been related to sun energy, wind energy, moon and other planets to create environment and nature parks. Our ancient Vastu Acharyas, who were also Mantras and philosophers, presented concrete descriptions of "Surya Rashmi" principles without modern physical classical instruments.